सांप्रदायिक राजनीति और नफ़रत अस्वीकार्य : एपीसीआर


बैस्ट रिपोर्टर न्यूज,जयपुर । एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR), राजस्थान चैप्टर की ओर से आयोजित एक प्रेस वार्ता में पिछले कुछ वर्षों में पूरे देश में सुनियोजित रूप से नफ़रत की राजनीति और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने पर घोर आपत्ति दर्ज की गई है । एपीसीआर के अनुसार  सरकारें और सत्ता से जुड़ी शक्तियाँ इस एजेंडे के तहत कुछ समुदायों को निशाना बनाकर उन्हें दबाने, डराने और उनके धार्मिक, सामाजिक व संवैधानिक अधिकारों को कुचलने का प्रयास कर रही हैं। चाहे वह मॉब लिंचिंग हो, बुलडोज़र राजनीति हो या धार्मिक स्थलों को अवैध घोषित करने की साज़िश — सब एक ही श्रृंखला के हिस्से हैं। इसी क्रम में राजस्थान के ब्यावर शहर के बिजयनगर में 20 फरवरी 2025 को घटित घटनाएं भी उसी नफ़रती एजेंडे का विस्तार प्रतीत होती हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार तथ्यों की जांच और हालत का जायज लेने के लिए फरवरी में ही एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR), राजस्थान चैप्टर के प्रतिनिधिमंडल ने बिजयनगर का दौरा किया। प्रेस वार्ता के दौरान प्रतिनिधि मंडल द्वारा तैयार फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट का हिंदी और अंग्रेज़ी संस्करण जारी किया गया । यह रिपोर्ट बिजयनगर की 

घटनाओं, प्रशासनिक कार्रवाई और स्थानीय नागरिकों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। 

फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट की मुख्य बातें इस प्रकार हैं :—

• आरोपियों में अन्य समुदाय के भी दो व्यक्ति गिरफ्तार किए गए, लेकिन उन्हें किसी प्रकार का नोटिस या डिमोलिशन की चेतावनी नहीं दी गई, जबकि मुस्लिम समुदाय से संबंधित अभियुक्तों के परिवारों को ही घर तोड़ने के नोटिस थमा दिए गए। 

• पांच मस्जिदों और एक कब्रिस्तान को अवैध निर्माण बताकर नोटिस जारी करना, पूरे समुदाय को सामूहिक रूप से दंडित करने जैसा है। 

• यह स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक भेदभाव और प्रशासनिक पक्षपात का उदाहरण है। 

• क्या कारण है कि केवल एक ही समुदाय को निशाना बनाया गया? क्या किसी भी प्रकार की निष्पक्ष जांच के बिना धार्मिक स्थलों को "अवैध" घोषित करना तर्कसंगत और संवैधानिक है? 

• आरोपियों के परिवारों का क्या दोष है? परिवारों को दंडित करना भारतीय संविधान के न्याय के सिद्धांतों के सर्वथा विरुद्ध है। 

प्रेस वार्ता के दौरान एपीसीआर की ओर से बयान दिया गया कि एपीसीआर का मानना है कि वक़्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 एक संविधान-विरोधी और समुदाय विरोधी क़दम है। इसके कारण वक़्फ़ की स्वतंत्रता, धार्मिक स्थलों की पवित्रता और अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकार खतरे में हैं। 

वार्ता के दौरान वक़्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 के संबंध निम्नलिखित आपत्तियाँ रखी गई : 

1. वक़्फ़ बोर्ड की स्वायत्तता समाप्त की जा रही है। 

2. सरकार को वक़्फ़ संपत्तियों पर अनुचित अधिकार दिए गए हैं। 

3. धार्मिक स्थलों को ज़बरदस्ती "अवैध" घोषित करने का क़ानूनी औज़ार बना दिया गया है। 

4. यह क़ानून संविधान के अनुच्छेद 26 और 30 का सीधा उल्लंघन करता है। 

5. यह कानून न्याय की बजाय, राजनीतिक और साम्प्रदायिक उद्देश्यों को साधने का माध्यम है। 

वार्ता के दौरान एपीसीआर की ओर से निम्न मांगें रखी गई —

1. बिजयनगर की घटनाओं की निष्पक्ष, न्यायिक और समयबद्ध जांच हो। 

2. सभी धार्मिक स्थलों के विध्वंस के नोटिसों को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए। 

3. वक़्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 को निरस्त किया जाए। 

4. सांप्रदायिक कार्रवाई के दोषियों को चिन्हित कर उन पर कड़ी कार्रवाई हो। 

5. प्रशासन अपने कर्तव्यों का निर्वहन निष्पक्षता और संवैधानिक मर्यादा में रहकर करे। 

प्रेस वार्ता के दौरान एपीसीआर प्रदेश अध्यक्ष सय्यद सआदत अली,प्रदेश महासचिव मुज़म्मिल रिज़वी, पूर्व जज एवं भारतीय बौद्ध महासभा के अध्यक्ष टी.सी.राहुल, मसीह शक्ति के अध्यक्ष फादर विजयपाल, राजस्थान नागरिक मंच के बसंत हरियाणा एवं  JIH राजस्थान से सबीहा परवीन ने अपनी बात रखी ।


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