प्रतिनिधिमंडल ने बिजयनगर स्थित जामा मस्जिद और कब्रिस्तान कमेटी के जिम्मेदारों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को विस्तार से सुना। कमेटी ने बताया कि नगर पालिका ने जामा मस्जिद और क़ब्रिस्तान को अवैध निर्माण क़रार देते हुए उन्हें कागज़ात प्रस्तुत करने का नोटिस जारी किया है। इस संदर्भ में एपीसीआर ने कमेटी को उचित क़ानूनी कार्रवाई करने की सलाह दी और उन्हें न्यायिक प्रक्रिया का सहारा लेने के लिए प्रेरित किया।
एपीसीआर द्वारा क़ानूनी हस्तक्षेप के बाद, सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुरूप नगर पालिका को नोटिस पर जवाब देने का निर्देश दिया गया। इस प्रक्रिया के तहत मस्जिद कमेटी को अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए 15 दिन का समय प्रदान किया गया। इसके अलावा, एपीसीआर ने जामा मस्जिद और क़ब्रिस्तान के हितों की रक्षा के लिए वक़्फ़ ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट जयपुर में पिटीशन भी दायर की।
इसके साथ ही, एपीसीआर ने ब्यावर पुलिस और प्रशासन की एकतरफ़ा कार्रवाई पर कड़ा ऐतराज़ जताते हुए बिजयनगर में संभावित बुलडोज़र कार्रवाई को तत्काल रोकने की मांग की है। एपीसीआर को मिली जानकारी के अनुसार तथाकथित ब्लैकमेलिंग कांड के आरोपियों के परिवारों और जामा मस्जिद को नगर पालिका द्वारा अतिक्रमण के आधार पर नोटिस भेजे गए हैं। एपीसीआर का मानना है कि घटना के तुरंत बाद इन नोटिसों का जाना संयोग नहीं हो सकता, जिससे प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़े होते हैं।
बुलडोज़र कार्रवाई की आशंका को देखते हुए एपीसीआर ने प्रशासन से मांग की है कि वह निष्पक्ष और न्यायसंगत प्रक्रिया का पालन करे तथा किसी भी समुदाय के साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने से बचे।
क्योंकि
सुप्रीम कोर्ट ने 13 नवंबर 2024 को CWP No: 295/2022 के तहत स्पष्ट आदेश दिया है कि –
• किसी भी विध्वंस से पहले 15 दिनों का समय दिया जाएगा।
• इस दौरान अपील करने या स्वेच्छा से निर्माण हटाने का अवसर मिलेगा।
• केवल अनधिकृत और गैर-संयोज्य निर्माण को ही गिराने की अनुमति होगी।
• ध्वस्तीकरण से पहले विस्तृत निरीक्षण रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
इस आधार पर एपीसीआर राजस्थान प्रशासन की जल्दबाजी और ग़ैर-क़ानूनी प्रक्रिया की निंदा करता है क्योंकि इस प्रकार की कार्रवाई सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों की स्पष्ट अवहेलना है।
एपीसीआर बिजयनगर में हुई तथाकथित ब्लैकमेलिंग और हिंसा की घटना का समर्थन नहीं करता। एपीसीआर का मानना है कि –
• पुलिस और प्रशासन को संवेदनशीलता से कार्रवाई करनी चाहिए।
• इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने के प्रयास किए जा रहे हैं, जो निंदनीय है।
• सोशल मीडिया पर भड़काऊ टिप्पणियों पर पुलिस की निष्क्रियता चिंताजनक है।
• पुलिस और आरोपियों पर हुए हमले के बावजूद पुलिस ने कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया।
• कुछ तत्व जानबूझकर इलाके में सांप्रदायिक तनाव भड़का रहे हैं, जिन पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
• प्रशासन निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करे ताकि किशोरी को न्याय मिल सके।
एपीसीआर की मांगें
1. प्रशासन किसी भी दबाव में आए बिना निष्पक्ष कार्रवाई करे।
2. न्यायपूर्ण जांच हो ताकि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत स्थापित हों।
3. संभावित बुलडोजर अन्याय को तुरंत रोका जाए।
4. पीड़ित किशोरी को न्याय दिलाने के लिए दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
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