बैस्ट रिपोर्टर न्यूज (अनिल यादव) । सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले दिनांक 7 नवंबर 2024 के द्वारा यह स्पष्ट किया है कि एससी / एसटी एक्ट तथा पॉक्सो एक्ट में दर्ज एफ.आई.आर. के बाद शिकायत कर्ता तथा अपराधी के बीच , केस को आगे नहीं बढ़ाने बाबत यदि कोई समझौता हो जाता है , दबाव में या लालच में , तो वह समझौता पुलिस के समक्ष अमान्य होगा । ना ही उस एफ.आई.आर. को हाई कोर्ट क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की धारा 482 के तहत रद्द कर सकेगा ।
केस के तथ्यों के मुताबिक दिनांक 6 जनवरी 2022 को राजकीय हायर सेकेंडरी स्कूल तलावड़ा , जिला - गंगापुर सिटी , राजस्थान में एक स्कूल लेक्चरर ने अपने ही स्कूल की 16 वर्ष से कम उम्र की छात्रा के साथ अकेला देखकर यौन हरकते कर डाली जिसका छात्रा ने विरोध किया तथा 8 जनवरी 2022 को पुलिस थाना सदर गंगापुर सिटी में एफ.आई.आर. दर्ज करा दी । एससी / एसटी एक्ट तथा पॉक्सो एक्ट में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस को चाहिए था कि वह अपराधी स्कूल लेक्चर को तुरंत गिरफ्तार करती परन्तु पुलिस ने लगभग दो सप्ताह से भी ज्यादा दिन तक उसे गिरफ्तार नहीं किया जबकि अपराधी , शिकायत करता तथा पुलिस सब गंगापुर सिटी के ही थे । पुलिस को निष्क्रिय देखकर लड़की का पिता हताश हो गया तथा उसने 500 रुपए के स्टांप पेपर पर दिनांक 30 जनवरी 20222 को समझौता की भाषा में अपराधी को यह लिखकर दे दिया कि उसने यह एफ.आई.आर. गलत फहमी में दर्ज करा दी थी तथा अब वह इस केस में अपराधी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं चाहता । इस समझौते को आधार बनाकर अपराधी ने हाई कोर्ट जयपुर में अपने खिलाफ दर्ज एफ.आई.आर. को रद्द कराने हेतु Cr.P.C की धारा 482 के तहत एक याचिका दिनांक 2 फरवरी 2022 को दायर करी जिसका निबटारा करते हुए दिनांक 4 फरवरी 2022 को हाई कोर्ट ने उक्त एफ आई आर को रद्द करने का आदेश पारित कर दिया।
एडवोकेट चेतन बैरवा ने राजस्थान हाई कोर्ट के इस फैसले को गांव वालों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जहां 7 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले दिनांक 4 फरवरी 2022 को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पॉक्सो एक्ट तथा एससी / एसटी एक्ट में दर्ज एफ.आई .आर. को समझौते के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता ।
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