लेखक : दया सिंह
मुझे याद है जब 2011 में कुछ मुसलिम पत्रकार मेरे पास indian coffee house , मोहन सिंघ फ्लेस कनाट फ्लेस नयी दिल्ली में मार्च 2011 को मिले, बहुत दुखी थे उन दिनों रोज़ पटाका फूटता कोई email आती और मुस्लिम शिकंजे में , चर्चा हुई , मैने सोचा क्यों न देश के मानस को टटोला जाये वेईं नदी सुलतान पुर लोधी , कपूर्थला पंजाब, जहां से गुरू नानक ने क्रांति की शुरुआत की थी , वहीं से गंगा नदी बनारस तक की हक ए अमन यात्रा की थी , हिन्दू , सिख और मुस्लिम के रिश्तों को समझा जाये जिसकी समीक्षा त्तकालीन प्रधान मंत्री मन मोहन सिंघ को 6.5 2011 के पत्र द्वारा प्रस्तुत किया था ज़िसमें मैने स्पष्ट लिखा था कि यह india against corruption कोई मुद्धा नही एक शगूफा है क्योंकि उस समय कुछेक RSS के लोगों के नाम उभरे थे आतंकवादी गतिविधियों में उसी को बरगलाने के लिये इस मुद्दे को हवा दी जा रही थी l हालांकि मुझे प्रशंसा पत्र तो मिला परंतु कार्यवाही नही हुई जबकि पूरी सरकार RSS के जाल में फंसती चली गयी नतीजा मोदी सरकार स्थापित हो गयी, मृणाल पांडे हिन्दोस्तां की सम्पदिका ने जो लिखा था कि संघ को एक ऐसे व्यक्ति की तलाश थी जो स्वछन्द होकर संघ के अजेंडा को लागू करे , मोदी से समर्पित कोई और नही था , वही प्रधान मंत्री l
इस में कोई शक नही कि मोदी ने उस अजेंडा को इन दस वर्षों में बड़े ही समर्पित भाव से लागू करने में कोई कसर न छोड़ी, 2019 में साफ संकेत दिये कि हिन्दू हृदय सम्राट और इस बार मोदी की गारंटी पर चुनाव अर्थात संघ ने तो अपने अजेंडा को नही छूपाया यह तो उनको बताना चाहिये जो उस समय देश को बदनाम करने पर तुले थे , aap का गठन कर केन्द्र में मोदी और दिल्ली में केजरीवाल के सोहले गा रहे थे , पूरे देश में कोंग्रेस मुक्त भारत और पंजाब मुक्त सिख पर काम कर रहे थे , जो सिख और मुसलिम को राजनीति निर्धारण प्रक्रिया से बाहर करने पर तुले थे आज वही लोक तंत्र खत्म होने का हउआ खड़ा कर रहे है , विडम्बना तो इस बात की कि वह दल शराब घोटाले में फंसा है, वही आदमी जो कागज हिला मन मोहन सरकार से इस्तीफा मांगता था आज जेल से मुख्य मंत्री कार्यालय चलाने की बात कर रहा है कितनी हास्यास्पद हालत बन गयी, अफसोस तो कोंग्रेस पर जो उसी को गठबंधन में ढोने पर लगी है.
मैने कल प्रेस वार्ता प्रेस क्लब जलंधर पंजाब में वार्ता करते हुए कोंग्रेस और अकाली दल से आग्रह किया कि पंजाब को अमन और शांति के राह पर लाने के लिये कोंग्रेस और अकाली दल का गठबंधन देश हित में और आज की ज़रूरत , फैसला तो इन्होने ही करना है.
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