धरना-प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुये वक्ताओं ने मेवात क्षेत्र के हरियाणा में नूह जिले और आस-पास के इलाकों साम्प्रदायिक तनाव और हिंसा के बाद आगजनी, हत्या, धार्मिक समूहों में साम्प्रदायिक टकराव, हरियाणा की भाजपा-आरएसएस सरकार की संदेहास्पद भूमिका की कड़े शब्दों में निन्दा की। वक्ताओं ने कहा कि हरियाणा सरकार निष्पक्ष रूप से अपनी भूमिका को निभाने में पूरी तरह से विफल रही है।
एक धर्मनिरपेक्ष देश में निष्पक्ष होकर साम्प्रदायिक गुंडा तत्वों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्यवाही करने के बजाय हरियाणा की भाजपा-आरएसएस सरकार असंवैधानिक रूप से
एक पक्षकार की तरह से व्यवहार कर रही है।
इन लगातार घट रही साम्प्रदायिक तनाव की घटनाओं के पीछे एक सुनियोजित और सोची समझी साज़िश नज़र आती है। पूर्वी राजस्थान के सीमावर्ती अलवर और भरतपुर जिलों में भी साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति है। दमन प्रतिरोध आन्दोलन,राजस्थान ने इसकी कड़े शब्दों में निन्दा की। वक्ताओं ने राजस्थान सरकार से अतिरिक्त सतर्कता बरतते हुए समय रहते आवश्यक कदम उठाने की मांग की है।
हरियाणा के मेवात में फैलायी जा रही साम्प्रदायिक तनाव की आग राजस्थान को भी न झुलसा दे,इसके लिए राज्य के अलवर और भरतपुर जिलों में साम्प्रदायिक सद्भाव और भाईचारे के दमन प्रतिरोध आन्दोलन राजस्थान द्वारा शीघ्र ही कार्यक्रम करने का आह्वान किया है।
इन घटनाओं की आड़ में देश और राज्य के अन्य हिस्सों में भी साम्प्रदायिक तनाव और हिंसा फैलाकर साम्प्रदायिक ताकतों द्वारा राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है।
आज़ के धरना-प्रदर्शन से मुंबई ट्रेन हादसे में मृतक असगर शास्त्रीनगर भट्ठा बस्ती के परिवार से उनके परिजनों ने भी हिस्सा लिया।
वक्ताओं ने मणिपुर में पिछले लगभग तीन महीने से जारी राज्य प्रायोजित साम्प्रदायिक और जातीय हिंसा पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुये ,मणिपुर में आदिवासियों पर हो रहे अमानुषिक अत्याचारों पर चिंता प्रकट करते हुये इसकी कड़े शब्दों में निन्दा की। केन्द्र और मणिपुर की भाजपा सरकारों की भूमिका संदेहास्पद है।
अतः माननीय सर्वोच्च न्यायालय से किसी ठोस कदम उठाए जाने की अपील की।
वक्ताओं ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गांधीवादी प्रतिष्ठानों पर यूपी की भाजपा-आरएसएस द्वारा हमला और क़ब्ज़े का कड़ा विरोध किया।
वक्ताओं ने देश में कुछ साम्प्रदायिक राजनीतिक सामाजिक संगठन, दल और व्यक्ति अपने क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थों के लिए देश की एकता और अखंडता,सामाजिक-समरसता, आपसी भाईचारे को भी दांव पर लगाने की कोशिशों के खिलाफ आगाह किया।
राज्य में दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के ख़िलाफ़ हो रही हिंसा को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 16 अगस्त को दमन प्रतिरोध आन्दोलन की बैठक होगी जिसमें साम्प्रदायिक ताकतों और दलित,आदिवासियों, अल्पसंख्यकों महिला पर अत्याचारों के ख़िलाफ़ राज्य स्तरीय कन्वेंशन की तारीखें तय की जायेगी । कन्वेंशन में राज्य में सामंती-जातिवादी उत्पीड़न-अत्याचारों और साम्प्रदायिक ताकतों के मुकाबले की रणनीति तैयार की जायेगी।
धरना-प्रदर्शन को सम्बोधित करने वाले वक्ताओं में तारा सिंह सिद्धू ,मोहम्मद नाजिमुद्दीन, मंजू लता, महावीर सिहाग, डॉ.गजेंद्र सिंह,निशा सिद्धू, कपिल, ममता जेतली , मोहम्मद इमरान, सबीहा परवीन, कामरेड सईदा,मोहर सिंह आदि शामिल थे। धरना-प्रदर्शन में मंच संचालन डॉ . संजय"माधव" ने किया।
दमन प्रतिरोध आन्दोलन, राजस्थान ( दलित, आदिवासी,अल्पसंख्यक, महिला) में शामिल संगठनों में समग्र सेवा संघ,अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति,जमाते इस्लामी हिंद, ऐपवा, एनएफआईडब्ल्यू , एसआईओ, एसएफआई, यूथ फोरम,पीयूसीएल, संवैधानिक विचार मंच,एप्सो, राजस्थान बौद्ध महासभा, दलित शोषण मुक्ति मंच, आदिवासी जनाधिकार एका मंच, राजस्थान, भारत की जनवादी नौजवान सभा, एपीसीआर राजस्थान, राजस्थान नागरिक मंच, अखिल भारतीय किसान सभा, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, सपा आदि प्रमुख रहे।