अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हुए, इन दो दिग्गजों ने डिजाइन के विकास, और डिजाइन संस्कृति को बढ़ावा देने और लाखों लोगों के जीवन पर इसके प्रभाव पर चर्चा की। वार्तालाप के दौरान अर्चना ने कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उठाये। उन्होंने पूछा की आज के नेतृत्व और समाज में डिज़ाइन की भूमिका क्या है? डिज़ाइनर आज के समय में कहाँ फिट होते हैं और डिज़ाइन कल्चर को कैसे विकसित किया जा सकता है। इस पर सतीश गोखले ने अनपे विचार प्रकट करते हुए कहा कि सृजनात्मक क्षेत्र में हम भारतीय पश्चिमी मानदंडों के अनुसार काम करते हैं। जबकि आज जरुरत इस बात की है कि हम अपने मौलिक रचनात्मकता को आगे बढ़ाये। समय आ गया है कि एक भारतीय कंपनी अपने इनोवेटिव प्रोडक्ट के लिए जानी जाये। आवश्यकता है कि हम युवा पीढ़ी को आज़ादी से सोचने और अपने आइडियाज क्रियान्वित करने दे।
सतीश गोखले कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। उन्हें टाटा समूह के लिए डिज़ाइन किए गए ‘कम लागत वाले पानी के फिल्टर’ के लिए इंडस्ट्रियल डिज़ाइनर्स सोसाइटी ऑफ़ अमेरिका द्वारा स्थापित डिज़ाइन ऑफ़ द डिकेड अवार्ड से भी नवाज़ा गया। उन्हें हाल ही में जर्मनी में रेड डॉट अवार्ड और जापान में एक 'जी' मार्क (गुड डिज़ाइन मार्क) प्राप्त हुआ है, जो देश में डिज़ाइन किए गए सौर-आधारित कंप्यूटिंग डिवाइस मोबिलिज़ के दिया गया है।