रिपोर्ट : आशा पटेल
श्रोताओं को संबोधित करते हुए, फेस्टिवल को-डायरेक्टर, नमिता गोखले ने कहा, “कल दिल्ली में मुझे मिलने वाले साहित्य अकादमी अवार्ड के प्रति मैं बेहद गर्व और सम्मान का अनुभव कर रही हूँ, लेकिन फिर भी मैं दिल्ली न जाकर, यहाँ इस फेस्टिवल में रहूंगी| ये फेस्टिवल मेरा सबसे बड़ा अवार्ड है|” उन्होंने आगे कहा, “फेस्टिवल में वापस आते हुए मुझे लगातार इसके पिछले संस्करण और कहानियां याद आ रहे हैं|”
लेखक, इतिहासकार व फेस्टिवल के को-डायरेक्टर विलियम डेलरिम्पल ने कहा, “पेंडेमिक यकीनन सभी के लिए चुनौतीपूर्ण समय रहा, लेकिन परफोर्मिंग आर्ट्स के तो अस्तित्व पर ही संकट आ गया... लेकिन अब वापस से खड़े होने का समय है, और यहाँ इस नए परिसर में हम, नोबेल पुरस्कार विजेता चार हस्तियों के साथ हाज़िर हैं|”
फेस्टिवल के बारे में बात करते हुए कीनोट स्पीकर हरीश त्रिवेदी ने भगवत गीता से उद्धरण दिया, “शरीर पुराने कपड़े उतारकर नए धारण करता है| आत्मा पुराना शरीर छोड़कर, नए शरीर में प्रवेश करती है| मैं कहना चाहूँगा कि इस फेस्टिवल ने भी अपना पुराना आशियाना छोड़कर, अपने लिए नया घर तलाश कर लिया|”
उद्घाटन संभाषण को समाप्त करते हुए, यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर फॉर इंडिया, शोम्बी शार्प ने कहा, “जयपुर फेस्टिवल के मूल स्वरुप में शामिल होते हुए मैं खुद को खुशनसीब कहूँगा... भारत में आकर, मैं यहाँ के गहन दर्शन और आदर्शों से बेहद प्रभावित हुआ| भारत की महत्वाकांक्षी योजनायें बताती हैं कि पर्यावरण को बचाने का मतलब विकास का अंत नहीं है|”
फेस्टिवल के 15वें संस्करण में आयोजित एक सत्र में पुर्तगाली राजनेता और लेखक ब्रूनो मकाएस ने अपनी किताब, जिओपॉलिटिक्स फॉर द एंड टाइम पर चर्चा की| भूतपूर्व राजनयिक और लेखक नवतेज सरना से संवाद में मकाएस ने विश्व की बदलती राजनीति के भविष्य पर प्रकाश डाला| सत्र प्रायोजक, बैंक ऑफ़ बड़ोदा के श्री पुरुषोत्तम ने कहा, “बैंक ऑफ बड़ोदा, यहाँ उपस्थित साहित्य और कला-प्रेमियों का तहेदिल से स्वागत करता है|”
एक सत्र में, पुरस्कृत डाटा जर्नलिस्ट रुक्मिणी एस, भूतपूर्व आईएफएस ऑफिसर और राजदूत लक्ष्मी पुरी और MICA के प्रेजिडेंट, शैलेन्द्र राज मेहता ने रुक्मिणी की किताब, होल नम्बर एंड हाफ द ट्रुथ पर चर्चा की| किताब में रुक्मिणी ने अपने दो दशकों के पत्रकारिता कैरियर में देखे गए ऐसे कई वाकयों का जिक्र किया, जिन्होंने भारत की राजनीति और सामाजिक व्यवस्था को बदला| जबकि उन घटनाओं के प्रस्तुत डेटा और आंकड़ों में आधा सच ही सामने आ पाया|
एक अन्य सत्र में, जानी-मानी लेखिका, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की फाउंडर व को-डायरेक्टर, 2021 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित नमिता गोखले के उपन्यास, ‘द ब्लाइंड मेट्रीआर्क’ के हिंदी अनुवाद, “आंधारी” का लोकार्पण हुआ| गोखले की दो किताबों ‘थिंग्स टू लीव बिहाइंड’ और ‘द ब्लाइंड मेट्रीआर्क’ का अनुवाद दो प्रतिष्ठित अनुवादकों, पुष्पेश पन्त और प्रभात रंजन ने किया है| पैनल में मौजूद वक्ताओं ने अनुवाद प्रक्रिया और भाषा की बारीकियों का दिलचस्प अंदाज़ में वर्णन किया| अपनी किताबों के अनुवाद के बारे में लेखिका नमिता गोखले ने कहा, “शकुंतला, राग पहाड़ी और आंधारी वास्तव में हिंदी पृष्ठभूमि से ही जुड़े हैं| हिंदी में आने पर मानो ये कहानियां मौलिक रूप से साकार हुई हैं|”
फ्रंट लॉन में युद्ध पर आधारित एक सत्र में, भारत में नोर्वेगियाई राजदूत हेंस जैकब फ्रिडेंलें, वीर चक्र से सम्मानित चन्द्रकान्त सिंह, बांग्लादेश के शाहीन अनम और भारत में जर्मन के राजदूत वाल्टर जे. लिंडर ने अपने विचार रखे| अनम ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि युद्ध असत्य या मिथ्या है, बल्कि ये सबसे बड़ी बुराई है| शीर्ष पर बैठे कुछ लोग अपने हितों के लिए हजारों-लाखों लोगों को मार डालते हैं और शरणार्थी बनने पर मजबूर करते हैं|”
80 के दशक में स्कूटर पर अपनी होम-प्रोडूस एल्बम को बेचने से लेकर, पूरे देश के दिलों पर छा जाने वाले पॉप सिंगर, रेमो फर्नांडिस की आत्मकथा, रेमो: द ऑटोबायोग्राफी ऑफ़ रेमो फ़र्नांडिस, सिंगर के असाधारण सफ़र की कहानी कहती है| फेस्टिवल में आयोजित सत्र में, टीमवर्क आर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर, संजॉय के. रॉय ने रेमो से संवाद में कई परतें खोलीं| रेमो ने कहा, “मैं हमेशा से एक लिटरेरी फेस्टिवल का हिस्सा बनना चाहता था, और ये मेरा सबसे पहला फेस्टिवल है| मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं यहाँ एक लेखक के रूप में आऊंगा|”